रसोई घर के मसाले जो चुटकी भर से खाने का स्वाद बदलते है। आप ये जानकर हैरान होंगे की इन्होने इतिहास पर भी गहरा प्रभाव छोड़ा है। कभी मसाले भारत के विदेश व्यापार (External trade) का मुख्या भाग थे जो वे अन्य सभ्यतायें जैसे चीन , अरेबिया ,Egypt और रोमन साम्राज्य के साथ करते थे। मसालों को रोमन साम्राज्य में धनी वर्ग उपयोग (use) करते थे। और वे लोग इनको सोना देकर ख़रीदते थे। इसलिए काली मिर्च को काला सोना कहा जाता था। लेकिन रोमन लोगो को ये लगने लगा इस प्रकार सोने के बदले मसाला लेने से उनका खर्चा बढ़ता जा रहा है। और इसी सोच ने शुरुआत की नई समुद्री यात्राओं की।
काली मिर्च (Black Pepper )को मसालों का राजा ( King of Spices )कहा जाता है

इलायची (Cardamom) को मसालों की रानी (Queen of Spices ) कहा जाता है

परन्तु यहाँ समस्या ये थी की उन्हें भारत तक पहुँचने के मार्ग (Spice route) का ज्ञान नहीं था ।वो इसके लिए समुद्री व्यापारियों पर निर्भर थे जो उनको रोचक कहानी कहकर ये बताते की कैसे उन्होने ये मसाले बड़ी मुश्किल से मसाले प्राप्त किये है लेकिन मार्ग गुप्त रखा जाता ।
लेकिन जब ये सीक्रेट इनको पता चला तो वो हवाओ के रुख (Pattern )के अनुसार अपने व्यापारिक जहाज़ों को मार्ग दिखा कर केरल के मालाबार तट आ पहुंचे। इस तरह 1498 में वास्को डा गामा (Vasco Da Gama )ने केरल के Calicut में पहली बार कदम रखा। हम कह सकते है की मसालों को खोजते हुए डच , अंग्रेज, Portuguese भारत आ पहुंचे।
हवाओ का रुख (Pattern)
- Southwest to Northeast / April to Oct
- Northeast to Southwest / Oct to April

सौभाग्य से केरल के कोच्ची शहर जाना हुआ तो मसलो के इतिहास को और जानने का मौका मिला। यही से कुछ किलोमीटर के दूरी पर है फोर्ट कोच्ची (Fort Kochi ) है । जहाँ आज भी आपको मछुआरे Chinese नेट के साथ मछली पकड़ते हुए मिलेंगे। जिसे विदेशी ट्रैवलर कभी यहाँ अपने साथ लाये थे । यही Vasco Da Gama (विदेशी ट्रैवलर) ने अंतिम दिन बिताए थे । ये जगह इतिहास और संस्कृति का बेहतरीन मिलन है ।

Spices या Seasonings या Condiments ये शब्द मसालों के लिए ही प्रयोग होते है। इनका इतिहास हज़ारो साल पुराना है इनका जिक्र आयुर्वेद में भी मिलता है।मसालों की सुगंध के लिए एरोमा (AROMA) शब्द खूब प्रचलित है जो की एक Eqypt का शब्द है क्योंकि वो लोग इन्हे न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाने ( Flavour Enhancer )के लिए , बल्कि जड़ी बूटी( Herbs) के तौर पर बल्कि इस्तेमाल करते थे।
कथकली केरल और कोच्ची में एक प्रसिद्ध नृत्य शैली है जिसमे नर्तक अपने चेहरे के भाव, हाथों की मुद्राओं से अभिनय करते हैं, और इसमें नृत्य, भाव और संगीत का मिश्रण होता है। जिसमे प्रस्तुति से पहले काफी समय तक वो आर्गेनिक (Organic ) रंगो से शृंगार करते है जो देखने लायक होता है।
Calicut के राजा Zamorin से जब वास्को डा गामा ने काली मिर्च के बीज ले जाने चाहे तब राजा ने कहा की आप बीज तो ले जा सकते है लेकिंग यहाँ की बारिश और मौसम कहा से लाएंगे। मै जब Idukki डिस्ट्रिक पहुंचा तो ये बात बिलकुल सच प्रतीत हुई। Idukki डिस्ट्रिक्ट का भूगोल बड़े कार्डमम (Cardamom) हिल्स , पेरियार नदी , अच्छी बारिश मसालों के लिए एक अनुकूल वातावरण उपलब्ध करते है।
यह डिस्ट्रिक्ट अपने मसालों की खेती के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही Thekkady और Munnar में चाय बागान है और यहाँ के Thekkady से कुछ दूर केरल तमिलनाडु के बॉर्डर के पास हमे अंगूर , कटहल , केला की खेती देखने तो मिली। कुछ kilometer के अंतराल पर जलवायु और उपज में इतने विभिन्नता देखने को मिली जो भारत की खूबसरती और विविधता (diversity) को दिखाती है।

Keral अपने मसाले की खेती के लिए देश भर में प्रसिद्व है इसलिए देश का Spice Garden भी कहते है।। लगभग 109 किस्म के मसाले में से 50 % से भी ज्यादा भारत में मिलते है। इनमे प्रमुख है:-
Cardamom (इलाइची), Cinnamon (दालचीनी), Clove (लौंग), Coriander (धनिया), Cumin (जीरा), Fenugreek (मेथी), Nutmeg (जायफल) और Mace (जावित्री), Pepper (काली मिर्च), Star Anise (चक्र फूल), Turmeric (हल्दी), Nigella Seed (कलौंजी), Carom Seed ( अजवायन)…..